बदलती राजनीति, डूबते समीकरण
2019 आम चुनाव देश के वोटिंग पैटर्न में एक बड़ा बदलाव लाने वाले हैं ।
2019...बड़े बड़ों के दिमाग का दही करने वाला है.......खास तौर पर राजनेतिक समझ रखने वालों का....
सब कुछ गड्डमड्ड हुआ जा रहा है........कथित सेक्युलर अपना अंध मुस्लिम प्रेम छोड़ कर हिन्दू मंदिरों और तीर्थस्थलों के न सिर्फ चक्कर लगा रहे हैं बल्कि पूर्ण भक्ति भी प्रदर्शित कर रहे हैं.....यहां मुस्लिम कंफ्यूज है.....कथित सेक्युलर गौशालाएं खोलने के पर्चे बांटते घूम रहे हैं 😜
भाजपा दलित प्रेम इतना दिखा रही है कि मायावती को चिंता हो जाये......यहां ताताकथित स्वर्ण कंफ्यूज है....उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जाएं तो जाएं कहाँ 🤔
सपा में से एक और शुद्ध समाजवादी कुछ वैसा ही दावा करते हुऐ बाहर निकल आये हैं जैसे छाछ में से मक्खन निकलता है......
महागठबंधन मोदी को रोकने पर तो एकमत लगता है परंतु लीडर कौन होगा इस पर लठ बजने की पूरी गुंजाइश है.....There is an old proverb..... "An army of sheep led by a lion is better than an army of lions led by a sheep"........और यहां तो अधिकतर शेर की खाल ओढ़े बैठे भेड़िए हैं 😊
कुल मिलाकर.....कई पुराने समीकरण टूटेंगे और कई नये बनेंगे ........बहुत से लोगों की भाजपा से नाराजगी बढ़ी है परंतु कांग्रेस पर अविश्वास अभी तक बरकरार है......ना ही कांग्रेस ने इस को सही करने के कोई गंभीर प्रयास किये हैं............पुरानी अधिकतर पार्टियां expose हो चुकी है, उनकी बातों पर जनता को भरोसा नहीं दिख रहा हैं...............
जनता का वंशवाद, भ्रष्टाचारी और निष्क्रिय से मोह भंग हो रहा है .....Democracy is getting matured......लोग अब कामों पर बात करने लगे है
जहां जहां....जिस जिस सीट पर जनता को नया, साफ छवि, मेहनती और पुराने राजनेतिक जुड़ाव के बिना विकल्प मिलेगा उसके चुने जाने की संभावनाएं ज्यादा हैं ।
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